GST के नए नियम 2022? जानिए क्या है अपडेट?

1 जुलाई 2017 को भारत सरकार ने सभी राज्यों में एक साथ GST लागू किया गया था, तब से अब तक GST में कई नियमों में बदलाव किए जा चूके हैं।

1 जुलाई 2017 को भारत सरकार ने सभी राज्यों में एक साथ GST लागू किया गया था, तब से अब तक GST में कई नियमों में बदलाव किए जा चूके हैं। जैसे जीएसटी रेट, स्लैब रेट, बिलिंग, जीएसटी रिटर्न। जीएसटी रिटर्न से जुड़े नियमों में कई तरह के बदलाव किए जा चूके हैं। व्यापारियों की समस्याओं और सरकार के उद्देश्य को ध्यान में रखकर कई नियम जोड़े जाते हैं और कई नियम हटाएँ जाते हैं। इस लेख में हम बताएंगे आपको कि GST के नए नियम 2022 में क्या है? और साथ में कुछ महत्वपूर्ण नियमों का स्पष्टीकरण भी किया जाएगा।

GST
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GST UPDATE 1?

1 अक्टूबर 2022 जीएसटी डिपार्टमेंट ने 10,00,00,000 के सालाना टर्नओवर करने वाले व्यापारियों को ई चालान अनिवार्य कर दिया गया है।

नोट: बस केवल रजिस्टर्ड पर्सन बीटूबी पर लेनदेन लागू किया गया है। GST के नए नियम और अपडेटइस प्रकार है।

GST UPDATE 2?

40,00,000 के सालाना टर्नओवर करने वाले व्यापारियों को जीएसटी अनिवार्य कर दिया गया है। पहले यह छूट सिर्फ ₹20,00,000 तक के टर्नओवर करने वाले व्यापारियों को ही दी जाती थी। लेकिन सर्विस सेक्टर के कारोबार के लिए यह लिमिट पहले की तरह ₹20,00,00 है ही|

पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों के GSTरजिस्ट्रेशन? की छूट की सीमा 10 लाख रुपये टर्नओवर से ₹20,00,000 टर्नओवर तक कर दी गई है। इन राज्यों के सर्विस सेक्टर के व्यापारियों के लिए या लिमिट पहले की तरह ₹10,00,000 ही रखी गई है।

GST UPDATE 3

नये अपडेट के अनुसार जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए टर्न ओवर लिमिट  इस प्रकार है

  •  सामान्य राज्यों में वस्तुओं के कारोबार पर ₹40,00,000।
  •  सामान्य राज्यों में सेवाओं के कारोबार पर ₹20,00,000।
  •  विशेष राज्यों में वस्तुओं के कारोबार पर ₹20,00,000।
  • विशेष राज्यों में सेवाओं के कारोबार पर ₹10,00,000।

GST UPDATE 4

 उत्तरी पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों। को नई या पुरानी लिमिट अपनाने में छूट।

 जीएसटी में रजिस्ट्रेशन की लिमिट? बढ़ने  या घटाने  अधिकार राज्यों को दे दिया गया है। वे चाहते हैं तो रजिस्ट्रेशन की टर्नओवर आपकी पुरानी लिमिट को जारी रख सकते हैं या फिर बदल सकते हैं। 11 नई सीमा को लागू किया जा सकता है। पहाड़ी राज्यों को भी इस लिमिट को बढ़ाने या कम करने का छूट दी गई है। कुछ राज्यों की यहाँ लिमिट बदलाव किए गए हैं। जैसे। जश्मू कश्मीर, लद्दाख और असम में अपनी वस्तुओं के कारोबार पर रजिस्ट्रेशन की टर्नओवर लिमिट को 40,00,000 कर दी है। एक विशेष कैटेगरी वाली राज्य, मेघालय, मिज़ोरम, त्रिपुरा, मणिपुर। नागालैंड, पुडुचेरी, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश  मैं अपनी सेवाओं के कारोबार पर रजिस्ट्रेशन की लिमिट ₹20,00,000 तक कर दी गई है। बस सामान कैटेगरी के वाले राज्यों जैसे तेलंगाना मैं वस्तुओं और सेवाओं के कारोबार पर रिस्ट्रिक्शन की पुरानी लिमिट को ही  बरकरार रख सकते हैं।

GST UPDATE 5

सर्विस सेक्टर के कारोबारी 50,00,000 के टर्नओवर पर भी कंपोजिशन स्कीम को सेलेक्ट कर सकते हैं

पहले यह कंपोजिशन स्कीम सिर्फ वस्तुओं का निर्माण और कारोबार करने वाले व्यापारियों को दी जाती थी। केवल सर्विस का कारोबार करने वालों को नहीं दी जाती थी। अब नए अपडेट के अनुसार। अब 50,00,000 के टर्न ओवर करने पर भी। सभी कारोबारी के कंपोजीशन स्कीम लेने की सुविधा दी जाती है। कंपोजिशन स्कीम के तहत। जो टैक्स की दरें है उन दरों का निम्नलिखित नियम है।

 वस्तु के निर्माता और व्यापारियों के लिए जीएसटी रेट? कंपोजिशन स्कीम में 1% है। ओर रेस्टोरेंट के लिए 5% है। अन्य प्रकार के कारोबारियों के लिए सेवा कारोबारियों के लिए 6% है।

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GST UPDATE 6

कंपोजिशन स्कीम वालों को क्वार्टरली रिटर्न भरने में राहत दे दी गई है।

जी हाँ, अब नए नियमों के अनुसार हर तिमाही जीएसटीआर रिटर्न भरने में राहत दे दी गई है। अब ऐसे व्यापारियों को साल में स्थिर एक बार एनुअल रिटर्न ही दाखिल करना होगा। लेकिन। टैक्स हर क्वार्टरली में ही जमा करना है। मिक्स सप्लाई करने वाली कंपनियों के लिए कंपोजिशन लिमिट जो है ₹50,00,000 तक है। इसके तहत वे कंपनियां आपकी हैं जो वस्तु के सेवा। दोनों की तरह सप्लाई करती है।

दूसरे राज्यों को माल बेचने वाले कारोबारी।

  • जिसे इन्टरस्टेट सप्लायर्स कहते हैं।
  • तम्बाकू पान मसाला। आइस क्रीम। अग्नि पदार्थ। का उत्पादन करने वाले|
  • ई कॉमर्स कंपनियां जैसे फ्लिपकार्ट, ऐमज़ॉन स्नैपडील जियोमार्ट के माध्यम से व्यापार करने वाले व्यापारी।
  • वे पर्सन जो दूसरे राज्यों में अस्थायी रूप से कारोबार करते रहते हैं।
  • नॉन रेजिडेंट टैक्सेबल पर्सन जो दूसरे राज्यों के आज  कारोबार के लिए आते रहते हैं।

जीएसटी के भुगतान के लिए अलग अलग जीएसटी?कई प्रकार से है ।

 वस्तुओं को मंगाने या भेजने पर केंद्र और राज्य के लिए जीएसटी अलग अलग चुकाना पड़ता है। केंद्र के लिए सेंट्रल जीएसटी यानी सीजीएसटी और राज्य के लिए स्टेट जीएसटी यानी एसजीएसटी।किसी भी सौदों में दिया गया टैक्स जो सीजीएसटी, एसजीएसटी को मिला कर वसूला जाता है, उदाहरण के लिए। अगर आप किसी सौदे में आपका जीएसटी रेट 1% है तो आपको सेंट्रल जीएसटी यानी सीजीएसटी 0.5 और स्टेट जीएसटी यानी एसजीएसटी 0.5 के रूप में देना पड़ेगा।

केन्द्रशासित राज्यों में व्यापार में स्टेट जीएसटी नहीं देनी पड़ती है। वहाँ पे केवल। किये गए सौदे पर। सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी और यू जी एस टी। यानी यूनि ग्रेटेड जीएसटी को मिलाकर। टैक्स लिया जाता है।जब कोई सप्लाई। दो राज्यों के मध्य होता है। तो वहाँ पे सीजीएसटी, एसजीएसटी के बजाय। आइजीएसटी लगता है।खरीद करने वाले राज्य के खाते में जाता है एसजीएसटी।

इसका सीधा मतलब है। की राज्य में उसकी खपत होती है। उस राज़ को नहीं जहाँ से माल खरीदा गया है। ऐसे सौदों सिर्फ राज्य को टेक्स मिलता है।

आईजीएसटी में भी राज्य को कम मिलता है बराबर की हिस्सेदारी।

हाँ, अगर आप भारत में जीएसटी के तहत सीजीएसटी, एसजीएसटी का रेट। एक बराबर है। इसलिए आई जीएसटी में केंद्र सरकार और राज्य की सरकार। को बराबर बराबर हिस्सा मिलता है।

जीएसटी की दरें कुछ इस प्रकार है।

जीएसटी के तहत अलग अलग वस्तुओं और सेवाओं पर अलग अलग टैक्स लगाए गए हैं, जिसका महत्त्व और जरूरत के हिसाब से कुल टैक्स स्लैब बांटा गया है।

  • 0% टैक्स स्लैब? ज़रूरी एवं आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर 0% टैक्स स्लैब रखा गया है। बिना पार्किंग वाले अनाज, नमक गौड़। चीनी इत्यादि।
  •  5% का टैक्स स्लैब। दैनिक जीवन में। ज़रूरी वस्तुओं पर 5% की दर से जीएसटी चार्ज होता है जैसे पैकेजिंग फूड, कोयला, मिठाई, चिप्स पापड़
  • 12% का टैक्स स्लैब? इस लैब में एक दैनिक जीवन में आने वाले वस्तु को बाहर रखा गया है। इसमें कम जरूरी वस्तुओं को 12% टैक्स की श्रेणी में रखा गया है हैं कंप्यूटर। खास सामग्री। इत्यादि।
  • 18% का टैक्स स्लैब? सुप्रीम और विलासिता के बीच की वस्तुओं पर 18% टैक्स तय किया गया है। वाटर। औद्योगिक वस्तुएं आदि।
  • 28% का टैक्स स्लैब? इस टैक्स स्लैब में महंगी वस्तु को रखा गया है जैसे कार, एसी, फ्रिज। आदि

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Brijesh Vishwakarma
Brijesh Vishwakarma

Tax and GST Practitioner.

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